किसानों की स्थिति को मजबूत बनाना शासन का लक्ष्य: डॉ. कमलप्रीत सिंह

किसानों की स्थिति को मजबूत बनाना शासन का लक्ष्य: डॉ. कमलप्रीत सिंह

धान के बदले अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा दें

इस साल रबी सीजन में 19.25 लाख हेक्टेयर में फसल बुआई प्रस्तावित

बीते रबी सीजन में 18.30 लाख हेक्टेयर में हुई थी रबी फसलों की खेती

सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करें

कृषि उत्पादन आयुक्त ने रायपुर और दुर्ग संभाग के अधिकारियों की बैठक ली
खरीफ वर्ष 2022 और रबी वर्ष 2022-23 के कार्यक्रम निर्धारण की समीक्षा

रायपुर, 09 नवम्बर 2022/ कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने आज न्यू सर्किट हाउस में रायपुर और दुर्ग संभाग के जिलों के कलेक्टर, जिला पंचायतों के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सहित कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मत्स्य पालन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों की बैठक लेकर खरीफ वर्ष 2022 की समीक्षा तथा रबी सीजन 2022-23 के कार्यक्रम निर्धारण की गहन समीक्षा की। बैठक में कृषि एवं संबंधित विभागों से संबंधित शासन की फ्लैगशिप योजनाओं की प्रगति की भी समीक्षा की गई। बैठक में रायपुर संभाग के कमिश्नर श्री यशवंत कुमार, दुर्ग संभाग के कमिश्नर श्री महादेव कांवरे और संचालक कृषि डॉ. अयाज तम्बोली, उद्यानिकी संचालक श्री माथेश्वरन व्ही. सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

कृषि उत्पादन आयुक्त डॉ. कमलप्रीत सिंह ने बैठक में सम्बोधित करते हुए कहा कि कृषि और उससे संबंधित क्षेत्र से किसानों को लाभान्वित करना और उनकी स्थिति को मजबूत बनाना मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की प्राथमिकता में शामिल है। किसानों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए राज्य में धान के साथ-साथ अन्य व्यवसायिक फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जाना चाहिए। अन्य फसलों की खेती को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ही किसान न्याय योजना में खरीफ की सभी फसलों को शामिल कर इनपुट सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। राज्य शासन और केन्द्र शासन द्वारा दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजनाएं भी संचालित की जा रही है। किसानों को इसका लाभ सुनिश्चित कर दलहन और तिलहन की खेती के लिए उन्हें प्रेरित करें। कृषि उत्पादन आयुक्त ने पॉम प्लांटेशन कोे बढ़ावा देने तथा सिंचित क्षेत्रों में गेहूं की खेती को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस साल राज्य में हुई अच्छी बारिश हुई है। खेतों में अभी अच्छी नमी बनी हुई है, इसका फायदा उठाकर रबी फसलों का रकबा बढ़ाया जा सकता है। हम सबकी यह कोशिश होनी चाहिए कि किसान ऐसी फसलें उत्पादित करें जिसकी मार्केट में डिमांड हो, इससे किसानों को फायदा होगा।

बैठक में अधिकारियों की रबी सीजन 2022-23 के लिए किसानों को बीज एवं उर्वरक वितरण का कार्य तेजी से कराने के निर्देश दिए गए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने कहा कि कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए तीन बातों का विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। किसानों को अच्छे किस्म का उन्नत बीज और समय पर उर्वरक उपलब्ध कराए जाने के साथ ही स्वायल हेल्थ टेस्टिंग और किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए। बैठक में फसल बीज विक्रेताओं का अनिवार्य रूप से पंजीयन किए जाने के भी निर्देश दिए गए।

कृषि उत्पादन आयुक्त ने बैठक में फसल कटाई प्रयोग के बारे में सभी जिलों के अधिकारियों से जानकारी ली और कहा कि इसके आंकड़े पर विशेष रूप से ध्यान देने की जरूरत है। किसी भी स्थिति में फसल कटाई प्रयोग का गलत आंकड़ा फीड नहीं होना चाहिए यह संबंधित जिलों के कलेक्टरों की भी जिम्मेदारी है। शत-प्रतिशत किसानों का ई-केवायसी पूरा कराने एवं एक जिला-एक उत्पाद को प्रमोट करने के भी निर्देश दिए गए। कृषि उत्पादन आयुक्त ने गौठानों में आयमूलक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ-साथ वहां लघु औद्योगिक इकाईयों की स्थापना के कार्य को प्राथमिकता कराए जाने के भी निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि गौठानों में स्थानीय कृषि एवं अन्य उत्पाद के वैल्यू एडिशन की यूनिट लगाई जानी चाहिए।

बैठक में जानकारी दी गई कि राज्य में रबी सीजन 2022-23 में 19.25 लाख हेक्टेयर में क्षेत्राच्छादन प्रस्तावित है। यह रकबा बीते रबी सीजन के पूर्ति के रकबे 18.30 लाख हेक्टेयर से 5 प्रतिशत अधिक है। इस साल रबी सीजन में 4.36 लाख हेक्टेयर में अनाज, 8.65 लाख हेक्टेयर में दलहन, 3.77 लाख हेक्टेयर में तिलहन तथा 1.97 लाख हेक्टेयर में अन्य रबी फसलों की बुआई प्रस्तावित की गई है। राज्य में अब तक 1.56 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई हो चुकी है। रायपुर संभाग में इस साल रबी सीजन में 2.82 लाख हेक्टेयर तथा दुर्ग संभाग में 6.76 लाख हेक्टेयर में रबी फसलों की बुआई का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है, जो उक्त दोनों संभागों में बीते रबी सीजन की तुलना में क्रमशः 17 प्रतिशत एवं 3 प्रतिशत अधिक है।

बैठक में गोधन न्याय योजना, मिलेट मिशन, जैविक खेती, ग्रीष्मकालीन धान के बदले मक्का एवं अन्य फसलों की खेती, एकीकृत जल ग्रहण क्षेत्र प्रबंधन कार्यक्रम, सामुदायिक बाड़ी, उद्यानिकी, पशुपालन एवं मत्स्य पालन विभाग की हितग्राही मूलक योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई।

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