अल्पसंख्यक को नेतृत्व की मांग पूरी हुई।मैदान से हटेंगे शाहीद मेमन

अल्पसंख्यक को नेतृत्व की मांग पूरी हुई।मैदान से हटेंगे शाहीद मेमन

रायपुर लाइव के संवाददाता ने व्यावसायी शाहिद मेमन से चर्चा की जो आपके सामने प्रस्तुत है
संवाददाता :आपने अचानक राजनीति में उतरने का मन किन परिस्थिति में बनाया

शाहिद मेमन:मै राजनीति में नहीं उतर रहा,यह जनसेवा है।आप जहां रहते है जिस समाज के बीच आपने अपना जीवन बिताया एक समय आप के मन में उनके लिए कुछ बेहतर करने का विचार आता है।मुस्लिम समाज के लिए आरक्षित सामुदायिक भवन का मामला मुझे विचलित कर गया।तब लगा कि वार्ड चूंकि सिक्ख,ईसाई,मुस्लिम अल्पसंख्यक बहुल है तो लोगों को उनके बीच का योग्य प्रतिनिधि मिलना चाहिए जिससे कि भविष्य में ऐसी कोई चूक ना हो और यहीं से चुनाव लड़ने का मन बना शाहिद मेमन:मै राजनीति में नहीं उतर रहा,यह जनसेवा है।आप जहां रहते है जिस समाज के बीच आपने अपना जीवन बिताया एक समय आप के मन में उनके लिए कुछ बेहतर करने का विचार आता है।मुस्लिम समाज के लिए आरक्षित सामुदायिक भवन का मामला मुझे विचलित कर गया।तब लगा कि वार्ड चूंकि सिक्ख,ईसाई,मुस्लिम अल्पसंख्यक बहुल है तो लोगों को उनके बीच का योग्य प्रतिनिधि मिलना चाहिए जिससे कि भविष्य में ऐसी कोई चूक ना हो और यहीं से चुनाव लड़ने का मन बना। संवाददाता: सिर्फ सामुदायिक भवन मुद्दा था या और भी कोई विचार था शाहिद मेमन: सामुदायिक भवन ने विचलित किया लेकिन सिर्फ यह मुद्दा नहीं था।बहुत से वार्डो में सफाई कर्मचारियों और वार्ड में होने वाले विकास कार्य पार्षदों की आय का मुख्य जरिया बन चुका है।उदाहरण के लिए किसी वार्ड में यदि 50 सफाई कर्मचारी नियुक्त है तो फील्ड में सिर्फ 20 कर्मचारी होते हैं बाकी 30 कर्मचारीयों का पैसा निगम के अफसर और पार्षद मिलकर अपने जेब में रखते हैं।यह कमाई वार्ड देखकर औसतन महीने की 2 से 3 लाख होती है। सारा घमासान इसी कमाई को लेकर होता है और वार्ड की जनता को चुनाव के बाद मिलते है न्यूनतम कर्मचारी और भ्रष्टाचार से लथपथ विकास कार्य।
ऐसे में सड़क और नाले नालियों की सफाई तो हो जाती है लेकिन लोगों को अपने घरों के सामने की नाली का तल्ला आखरी बार कब देखा यह याद नहीं रहता।तल्ला दिखना चाहिए।तब ही मच्छर मुक्त क्षेत्र बनेगा।पूरे कर्मचारी फील्ड में उतरने चाहिए।नाली और सफाई आय का जरिया आखिर कैसे हो सकता है? विकास कार्यों में कमीशन निर्माण की गुणवत्ता को प्रभावित करते है इससे पैसा कमाना भी गलत है।इसके अलावा जनप्रतिनिधि के पास एक व्यापक विजन होना चाहिए जिसमें सभी कक्षाओं के बच्चों के लिए निशुल्क कोचिंग क्लासेस,युवाओं में स्किल डेवलपमेंट ट्रेनिंग और नागरिकों का समय समय पर हेल्थ चेकअप और रोजगार के प्रयास,शासन की योजनाओं के प्रति लोगों को जागरूक कर उन्हें लाभ दिलाना जैसी ढेरों चीजें हैं पर यह सब कैसे होगा यदि प्रतिनिधि अपनी कमाई में लगा होगा वास्तव में पार्षद का कार्य क्या होता है लोग यही नहीं जान पाए है और इन्हीं सब चीजों को लेकर एक मॉडल वार्ड बनाने पार्षद चुनाव में कूदने का मन बनाया था।
संवाददाता;आगे अब क्या करेंगे,निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे या पीछे हटेंगे शाहिद मेमन: कामरान अंसारी और आकाश तिवारी दोनों योग्य उम्मीदवार रहे,वार्ड परिसीमन के बाद एक हो गया।यहां आबादी के हिसाब से अल्पसंख्यक उम्मीदवार की मांग जायज थी और शहर में अल्पसंख्यक समाज की लीडरशिप कम होते जा रही थी।अभी संजय नगर में अल्पसंख्यक लीडर की टिकिट काटने को लेकर शहर में नाराजगी दिखलाई दे रही है।कहीं इस वार्ड में भी पार्टी से चूक होती तो मुस्लिम समाज की नाराजगी के फलस्वरूप राजनैतिक तौर पर बड़ा नुकसान होता आप खुद देखिए कि 70 वार्ड की तुलना में कितने ईसाई सिक्ख या मुस्लिम पार्षद हैं निगम की राजनीत मे.बमुश्किल आधा दर्जन या इससे भी कम।
अभी चुनौती यह है कि वार्ड से कहीं कांग्रेस हार जाती है तो यह वार्ड आगे अल्पसंख्यक नही कहलाएगा।ऐसे में अगली बार ना कोई ईसाई मैदान में आ सकता है ना कोई सिक्ख प्रतिनिधत्व कर सकता है।लोकतंत्र की यही तो खूबसूरती है कि समाज के हर तबके को बराबर अवसर मिले और सारे लोग मिलजुलकर जिताएं यहां हमेशा से ईसाई समाज से नेता चुनाव लड़े हैं और बाकी समाजों ने एक होकर उन्हें जिताया है ऐसे ही सिक्ख समाज से जब कोई खड़ा हुआ तो सभी लोगों ने हाथों हाथ लिया है और अब नए समीकरण में मुस्लिम समाज से एक बेहतर उम्मीदवार मिला है तो निश्चित ही लोग उसे जिताएंगे और परम्परा को बहाल रखेंगे ताकि अगली बार उनके लिए जगह बनी रहे,इसलिए चुनाव लड़ने का कोई सवाल ही नहीं है।

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