पंडित रविशंकर शुक्ल वार्ड से इस बार हो सकती है निर्दलीय उम्मीदवार की जीत

पंडित रविशंकर शुक्ल वार्ड से इस बार हो सकती है निर्दलीय उम्मीदवार की जीत

पंडित रवि शंकर शुक्ल वार्ड में इन दिनों राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ी हुई है।इस वार्ड को परिसीमन के बाद अल्पसंख्यक बहुल वार्ड माना जा रहा है।राजधानी के 6 वार्ड अल्पसंख्यक बहुल हैं ऐसे वार्डो में मुस्लिम लीडरशिप को दरकिनार कर बाहर से उम्मीदवार देने को लेकर समाज में जबरदस्त जागरूकता देखने मिल रही हैं।

परिसीमन के पूर्व यहां से आकाश तिवारी पार्षद चुने गए थे।आकाश तिवारी का कामकाज संतोषजनक रहा है किंतु अल्पसंख्यक इलाकों में काम को लेकर लोगों में अलग अलग राय थी इसी बीच सामुदायिक केंद्र से जुड़े एक मामले के बाद मुस्लिम समुदाय में उनके विरुद्ध जबरदस्त नाराजगी बनी और अंततः वार्ड की एक मात्र भूमि जहां मुस्लिम समाज के लिए एक भवन की बहुत ज्यादा जरूरत थी वहां अब पुलिस थाने का निर्माण होना है यानी कि हमेशा के लिए अब मुस्लिम समाज के पास अपना कोई भवन नही होगा यह स्पष्ट हो चुका है।इस बात को यहां के लोगों ने दिल में ले लिया है।यहीं से बात शुरू हुई कि मुस्लिम लीडरशिप खड़ी की जाए।
सामुदायिक भवन का विवाद चल ही रहा था इस बीच परिसीमन हो गया और वार्ड की अल्पसंख्यक आबादी दुगुनी होकर 4500 पहुंच गई और ईसाई और सिक्ख समुदाय को मिला दें तो यह आबादी 6400 के आसपास होती है।कुल 12 हजार लगभग मतों में आधे मत अल्पसंख्यक हो गए।ज्ञात हो कि पूर्व में यहां से अल्पसंख्यक सिक्ख एवं ईसाई समाज के पार्षद चुने जाते रहे हैं।

कामरान का वार्ड हो गया मर्ज
लाल बहादुर शास्त्री वार्ड का हिस्सा जो रवि शंकर शुक्ल वार्ड में मर्ज हो चुका है यहां से पार्षद कामरान अंसारी थे।
कामरान अब पंडित रविशंकर शुक्ल वार्ड से दावा कर रहे है लेकिन कामकाज के मामले में कामरान का परफार्मेंस अच्छा नहीं माना जाता है।इस बारे में लोगो की अलग अलग राय है। इसलिए यहां से आधा दर्जन मुस्लिम उम्मीदवारों ने अपना नाम आगे बढ़ा दिया है।पहुंच पकड़ की बात करें तो अब तक टिकट कौन लाएगा इस बात की लड़ाई आकाश तिवारी और कामरान अंसारी के बीच सीमित थी। यहां से पेट्रोल पंप व्यवसायी एवं समाजसेवी एडवोकेट शाहिद मेमन ने अपना दावा ठोक दिया है। शाहीद के अलावा यहां और भी दावेदार है।बताया जाता है शाहिद की दावेदारी सामने आने के बाद पार्षदों से नाराज अन्य दावेदार शाहीद को समर्थन देने राजी हो गए है।स्थानीय निवासी एवं व्यवसायी होने के चलते शाहिद मेमन की अन्य समाजों में भी मजबूत पैठ है।
अगले कुछ घंटों में यहां से किसे टिकट मिलेगी यह तय हो जाएगा और इसके बाद यहां चुनावी घमासान शुरू हो जाएगा।
मुस्लिम समाज में नाराजगी के चलते पहली बार जिस प्रकार की गोलबंदी दिखलाई पड़ रहीं है उससे लगता है कि कांग्रेस कहीं जनभावनाओं को समझने में चूक करेगी तो इस बार समाज अपना उम्मीदवार स्वयं खड़े करेगा।ऐसे में जीत किसकी होगी इस बात का सहज आंकलन लगाया जा सकता हैं।
नाराजगी से बड़े नेता हैं अवगत
कांग्रेस के बड़े नेता इस वार्ड में चल रही हलचल को बराबर नोटिस करते आ रहे हैं।राजधानी की एक एक सीट जीतने को लेकर तैयारी कर रही कांग्रेस इस सीट को जीतने के लिए कोई भी गलती करने के मूड में नहीं है।

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