सीएम मुख्यमंत्री और उनकी कैबिनेट के तमाम मंत्री यो की उपस्थिति में छत्तीसगढ़ राज्य की जरूरत और यहां के वित्तीय जरूरत पर वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने प्रेजेंटेशन दिया। इसके बाद आयोग की टीम ने पंचायती संस्थाएं नगरीय निकाय और राजनीतिक दलों की जनप्रतिनिधियों से मुलाकात की और 16वें वित्त आयोग से उनकी अपेक्षाओं के बारे में जाना। दिन भर की बैठक को और प्रेजेंटेशन देखने के बाद वित्त आयोग की टीम ने शाम को प्रेस कॉन्फ्रेंस की।
वित्त आयोग के अध्यक्ष ने बताया कि पीएम मोदी की तरह प्रदेश के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय विकसित छत्तीसगढ़ का विजन रखते हैं। इसी आधार पर उन्होंने आयोग के सामने फंड की मांग रखी है। प्रेजेंटेशन के दौरान ढाई दशक में प्रदेश के विकास को रखा गया । साथ ही साथ स्वस्थ और शिक्षा के क्षेत्र में कर्मियों को रेखांकित किया । हवाई और रेलवे कनेक्टिविटी में पिछड़े होने का भी जिक्र किया गया। छत्तीसगढ़ प्रोड्यूजिंग स्टेट है । जीएसटी सिस्टम में उन्हें नुकसान हो रहा है इसकी भरपाई पर चर्चा की गई । राज्य सरकार ने आबादी और एरिया मापदंड पर बदलाव का सुझाव दिया है।
वित्त आयोग के सदस्यों ने बताया, केंद्र को मिलने वाले राजस्व में से से 41% हिस्सा राज्य को जाता है। फिर उसे फंड को जनसंख्या, आकर, आदि के आधार पर डिवाइड किया जाता है । छत्तीसगढ़ सरकार ने सुझाव दिया है की 41% हिस्से को बढ़ाकर 50% राज्यों को दिया जाए।
15 वे वित्त आयोग में राज्य सरकार को मिले फंड की क्या निगरानी की गई , क्या किसी तरह की शिकायत भी मिली है, इस सवाल के जवाब पर आयोग के सदस्य ने कहा की
फंड की मॉनिटरिंग होती है । केंद्र सरकार करती है। 15 में वित्त आयोग में तीन प्रकार के ग्रांट दिए गए । एक पंचायत को दूसरा नगरीय निकाय को और तीसरा डिजास्टर मद में। इन सबकी मॉनिटरिंग होती है । क्योंकि 16वें वित्त आयोग का गठन कुछ समय पहले हुआ है, अभी तक का ब्योरा संक्षेप में हमारे समक्ष पेश किया है । डिटेल जानकारी विस्तार में दी जाएगी। जब तक आयोग का कार्यकाल है तब तक यह सब चलता रहेगा।