रायपुर. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव-2023 को लेकर हमारी स्पेशल रिपोर्ट की ये 12 वीं कड़ी है. इसी श्रृंखला में दल बदलने वाले शीर्ष नेताओं की कहानी भी आप पढ़ रहे हैं. पार्टी छोड़ने और नई पार्टी से जुड़ने वाले नेताओं की सफलता और विफलता पर आधारित यह चौथी स्टोरी है. यह कहानी उस राजनेता की है, जो खुद को सपनों का सौदागर कहते रहे एक व्यक्ति जिन्होने एक ही जीवन में न जाने क्या-क्या पा लिया ! ऐसा सब कुछ जिसे एक ही जीवन में पाना एक तरह से असंभव जैसा ही है. लेकिन छत्तीसगढ़ के वनांचल से निकले एक छात्र ने संभव कर दिखाया. वनांचल में संघर्षों के बीच से निकले और कामयाबी के शिखर तक पहुँचे. होनहार टॉपर विद्यार्थी, छात्र नेता, इंजीनियर, शिक्षक, आईपीएस, आईएएस, कलेक्टर से राजनेता और फिर राज्यसभा सांसद, लोकसभा सांसद, कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता, विधायक, छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री तक बने, लेकिन कदम रुके नहीं, और आगे बढ़े तो छत्तीसगढ़ में अपनी खुद की पार्टी बनाई, चुनाव लड़े और पहले ही चुनाव में 5 सीटें जीतकर इतिहास रचने में कामयाब रहे, लेकिन इन सबके बावजूद किंगमेकर नहीं बन पाए. बात देश के सफल राजनेताओं में से एक रहे, लेकिन जीवन के अंत तक विवादों से घिरे रहने वाले अजीत प्रमोद कुमार जोगी की हो रही है.