रायपुर(realtimes) छत्तीसगढ़ में इस साल हाेने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के अब जाे भी प्रत्याशी तय हाेंगे, उसमें सबसे अहम बात .यह होगी कि वाे सभी अब आरएसएस की पसंद के हाेंगे। किसी प्रत्याशी पर आरएसएस की सहमति नहीं हाेगी ताे उसकाे प्रत्याशी नहीं बनाया जाएगा।
राजधानी रायपुर में अचानक केंद्रीय मंत्री अमित शाह के आने के एक दिन पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिग्गजों ने भाजपा के नेताओं के साथ प्रत्याशियों काे लेकर बड़ा मंथन किया। अब यह बात अलग है कि श्री शाह का दाैरा अचानक टल गया। इस बैठक को लेने के लिए जहां आरएसएस के राष्ट्रीय सह सर कार्यवाह अरुण कुमार दिल्ली से आए, वहीं बैठक में शामिल होने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और प्रदेश के संगठन प्रभारी शिव प्रकाश भी आए। बैठक के बाद वे वापस भी लौट गए।
21 के चयन में राय न लेने पर भारी नाराजगी
विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा ने 21 प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है, लेकिन इन प्रत्याशियों के चयन को लेकर आरएसएस से कोई रायशुमारी नहीं की गई। आरएसएस में इसके बाद नाराजगी सामने आने पर अब लगातार आरएसएस के साथ प्रत्याशियों के चयन को लेकर बैठक हो रही है। कुछ समय पहले जब यहां पर भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष आए थे, तो वे विमानतल से सीधे जागृति मंडल पहुंचे थे और वहां पर आरएसएस के प्रदेश के पदाधिकारियों के साथ प्रत्याशियों को लेकर चर्चा की थी।
गुप्त बैठक में दिग्गजों का मंथन
आरएसएस ने एक दिन पहले एक गुप्त बैठक रोहिणीपुरम के अपने दफ्तर में की। इस बैठक के लिए आरएसएस के राष्ट्रीय सह सर कार्यवाह अरुण कुमार रायपुर आए। इसी के साथ बैठक में आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक दीपक विस्पुते, प्रचारक प्रेम शंकर सिद्दार, प्रांत संघ चालक डॉ. पूर्णेन्दु सक्सेना के साथ कुछ और पदाधिकारी उपस्थित थे। भाजपा की तरफ से बैठक में भी राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री और प्रदेश के संगठन प्रभारी शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी ओमप्रकाश माथुर, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश महामंत्री संगठन पवन साय, भाजपा के सह प्रभारी नितिन नवीन शामिल हुए। बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर रणनीति के साथ प्रत्याशियों को लेकर लंबा मंथन किया गया। आरएसएस से प्रत्याशियों के चयन को लेकर अपनी राय बता दी है। प्रत्याशियों के चयन में आरएसएस का पूरा दखल है। अब जो भी प्रत्याशी तय होंगे, उसमें आरएसएस की पसंद अहम होगी। जानकारों के मुताबिक आरएसएस एक-एक प्रत्याशी को लेकर बहुत गंभीर है। आरएसएस की रणनीति भाजपा की चुनाव में जीत के साथ सत्ता में वापसी है।