रायपुर में महापौर पद जब से सामान्य महिला वर्ग हेतु आरक्षित हुआ है कांग्रेस के अंदर से सामान्य महिला अर्थात नेताओं के परिवार से इतर पार्टी की सक्रिय महिला नेत्रियों को अवसर देने की बात जोर पकड़ते दिखलाई दे रही है।भाजपा में जहां श्रीमती मीनल चौबे और ममता सुभाष अग्रवाल का नाम प्रमुखता से सामने आया है वहीं कांग्रेस में पूर्व महापौर रहीं श्रीमती किरण मई नायक के अलावा खुशबू केडिया का नाम सुर्खियों में हैं किरण मई ने हालांकि अब तक अपनी दावेदारी नहीं की है लेकिन उनका एक बयान चर्चा में है जिसमें उन्होंने परिवारवाद से हटकर टिकिट देने की बात की है।श्रीमती खुशबू केडिया अग्रवाल समाज की सक्रिय और तेज तर्रार व्यक्तित्व की नेत्री हैं ।सामाजिक धार्मिक और राजनीतिक तौर पर उनकी सक्रियता लगातार बनी रहती हैं।आर्थिक तौर पर भी इन्हें सक्षम बतलाया जा रहा है।श्रीमती खुशबूकांग्रेस से विगत दस वर्षों से जुड़ी हैं,बताया जाता है कि हाल ही में उन्होंने स्वामी आत्मानंद वार्ड से पार्षद टिकिट की मांग की थी लेकिन जैसे ही मेयर पद सामान्य महिला को आरक्षित हुआ खुशबू ने मेयर पद पर अपना दावा ठोक दिया है।प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने के बाद से ऐसा कयास लगाया जा रहा है कि इस बार राजधानी का महापौर पद भाजपा के खाते में जाएगा और इसके पीछे की बड़ी वजह पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार को बतलाया जा रहा है जिसके पूरे कार्यकाल में प्रदेश के शहरों के लिए कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं किए गए थे,एक तरह से कहा जा सकता है कि राज्य के प्रमुख शहर जिनमें राजधानी भी शामिल है को नजरअंदाज किया गया जिसका खामियाजा भी राज्य के लगभग शहरों को हार कर कांग्रेस को उठाना पड़ा।
राजधानी का समीकरण राजधानी में दो समुदाय निर्णायक स्थिति में है जिनमें एक सिंधी समुदाय तो दूसरा अग्रवाल समाज है।दोनों ही समुदाय भाजपा के ज्यादा करीब बताए जाते है ऐसे में प्रदेश कांग्रेस इनमें से किसी एक समुदाय को साधकर अपना उम्मीदवार तय करती है तो निश्चित तौर पर राजधानी का चुनाव बड़ा रोचक हो जाएगा।। जहां तक परिवार की बात है तो राजधानी के पूर्व मेयर रहे प्रमोद दुबे विकास उपाध्याय और कुलदीप जुनेजा अपनी पत्नी के लिए टिकिट मांग रहे है ऐसी चर्चा है।दिलचस्प बात यह है कि कुलदीप जो कि स्वयं विधायक रहते आए हैं फिलहाल में छाया विधायक है वे जहां अपनी पत्नी के लिए महापौर पद की टिकिट मांग रहे हैं वहीं अपने बेटे को भी वे पार्षद बनाने की तैयारी कर रहे हैं हालांकि उनके इस फैसले के खिलाफ उनके अपने करीबी समर्थकों में ही विरोध के स्वर उठने लगे हैं।