नियम विरुद्ध कार्य के बाद भी नहीं हो रही है कोई कार्रवाई भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी

नियम विरुद्ध कार्य के बाद भी नहीं हो रही है कोई कार्रवाई भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी

रायपुर। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचार का आलम यह था कि लोकतंत्र के सबसे मजबूत स्तंभ विधायिका भी अछूता नहीं था। विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा पर नियुक्ति के लिए कथित लेन-देन का मामला जोर-शोर से उछला था। तब एक वीडियो भी वायरल हुआ था, जिसमे पैसा प्राप्त करते हुए फोटो भी स्पष्ट दिख रहा था। सरकार बदलने के बाद माना जा रहा था कि पुरानी गड़बडिय़ों को देखते हुए उन्हें तुरन्त हटाया जायेगा पर अभी भी शर्मा यथावत बने हुए हैं। उन्होंने कई चालू भर्ती प्रक्रिया को 4-5 वर्षों से रोक कर पिछले दरवाजे से सहायक ग्रेड-3 के छह पदों पर अपने चहेतों तोरण लाल कुम्भकार, कुमुदनी साहू, अनिल गोटेफोड़े, अशोक अग्रवाल, युक्ति साहू, सतीश दीवान तथा वाहन चालक के पांच पदों पर संजय कुमार घरडे, संजय साहू गोलू, जायता यादव, हेमंत राजपूत तथा बुक लिफ्टर के एक पद पर सुनील देशमुख की नियमित नियुक्ति बिना किसी भर्ती प्रक्रिया के पिछले दरवाजे से कर दी है। यह भी आश्चर्य है कि इनमे से आरक्षित संवर्ग के एक भी नियुक्ति नहीं किया गया है. ऐसा कर उन्होंने आरक्षित संवर्ग के अभ्यर्थियों के अधिकारों का हनन किया है।

छत्तीसगढ़ विधानसभा सचिवालय द्वारा तृतीय श्रेणी सहायक ग्रेड-तीन की कुल 47 पदों जिसमें आरक्षित संवर्ग के लिए भी पद सम्मिलित है, की भर्ती के लिए 22 अक्टूबर 2019 को विज्ञापन जारी कर आवेदन मंगाया गया था। दिसंबर 2021 को लिखित परीक्षा लेकर परिणाम विधानसभा की वेबसाइट में अपलोड किया गया। आज पर्यन्त तक उक्त लिखित परीक्षा में उत्तीर्ण अभ्यर्थियों की नियुक्ति के संबंध में न कोई कार्यवाही की और न ही किसी को नियुक्ति दी गई। बल्कि ठीक चुनाव अचार संहिता के पूर्व अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के रिश्तेदारों की भर्ती कर दी गई है।
मार्शलों की भर्ती में भी गड़बड़ी
छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने विधान सभा सचिवालय में पिछले दरवाजे से की गयी मार्शल भर्तियों को ख़ारिज कर (डब्ल्यूपीसी/2337/2012 का निर्णय मार्च 2019) पुन: भर्ती का आदेश दिया गया। उक्त प्रकरण में मार्शलों द्वारा दायर अपील को डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट ने भी ख़ारिज कर दिया है. मार्शल पद में नियुक्त के लिए जारी विज्ञापन के आधार पर शारीरिक परीक्षा हेतु दूरस्थ स्थानों से एक हफ्ते तक लगातार तीस-चालीस हज़ार आवेदक उपस्थित हुए। यहाँ तक की परीक्षा उपरान्त परिणाम भी घाषित किया, लेकिन विधानसभा सचिव दिनेश शर्मा ने कई वर्षों से उस प्रक्रिया को रोककर न केवल हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के निर्णयों की अवहेलना की है वरन प्रदेश के आवेदकों को भी धोखे में रखा है।

अविनाश साहू ने कहा है कि नियम विरुद्ध भर्ती की प्रक्रिया यहीं तक सीमित नहीं है। इसके अतिरिक्त भी दर्जनों बैकडोर भर्तियां उनके द्वारा की गई है। इसकी जानकारी सूचना के अधिकार के अंतर्गत मांगने पर भी नहीं दी जा रही है। उन्होंने कहा कि उपर वर्णित भर्ती प्रक्रिया रोककर अपने चहेते अधीनस्थ कर्मचारियों तथा उनके रिश्तेदारों की भर्ती कर दिया है। शुभम प्रजापति पिता दिलीप प्रजापति (कर्मचारी विधानसभा), लिलेश देवांगन (विधानसभा के कर्मचारी का भाई), लखवीर कौर (विधानसभा के एसडीओ की बहन), भूपेंद्र साहू (विधानसभा के कारपेंटर का भाई), हेम कुमार यादव (विधानसभा में प्लम्बर का बेटा), राकेश साहू पिता शिव साहू पूजा चौहान, ऋतू साहू (विधानसभा के भृत्य की बेटी), मुकेश देवांगन व भूपेंद्र श्रीवास्तव (विधान सभा की अधिकारी का पुत्र) शामिल हैं। अत: माननीय मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष से भी मांग करते हैं कि उक्त विषय पर संज्ञान लेकर सीबीआई के माध्यम से तत्काल उचित कार्रवाई करवाएं ताकि विधायिका पर लोगों का विश्वास बना रहे।

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