(सफलता की कहानी)वर्मी खाद निर्माण से जुड़ी चंद्रवती ने साझा किया अपना अनुभव,

(सफलता की कहानी)वर्मी खाद निर्माण से जुड़ी चंद्रवती ने साझा किया अपना अनुभव,

(सफलता की कहानी)वर्मी खाद निर्माण से जुड़ी चंद्रवती ने साझा किया अपना अनुभव, कमाई से मिला आत्मविश्वास, घर बना और बहन को शादी में बेहतर उपहार भी दे सकीकटकोना ग्राम गौठान में जय मां गौरी स्व सहायता समूह की महिलाएं बना रही वर्मी खाद, 3 लाख से ज्यादा के शुद्ध लाभ ने बढ़ाया मनोबल
कोरिया 11 जनवरी 2023/ राज्यशासन के नरवा, गरवा, घुरवा और बाड़ी योजना के तहत निर्मित ग्राम गौठानों में विभिन्न आजीविकामूलक गतिविधियों से जुड़कर ग्रामीणों को विशेषकर महिलाओं को अपने ही गांव में रोजगार मिला है और आर्थिक आत्मनिर्भरता मिली है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था में मजबूती केंद्र बन रहे गौठानों में जहां एक ओर पशुपालकों तथा गोपालकों को गोबर विक्रय द्वारा अतिरिक्त आमदनी हो रही है, वहीं दूसरी ओर गौठान में वर्मी खाद निर्माण और आयमूलक गतिविधियां संचालित कर महिलाएं अच्छा लाभ कमा रहीं हैं।  
जिले के बैकुण्ठपुर विकासखण्ड के कटकोना ग्राम की महिलाओं द्वारा गौठान में वर्मी खाद उत्पादन किया जा रहा है। जय मां गौरी स्व सहायता समूह की अध्यक्ष देवंती ने बताया कि समूह में कुल 12 सदस्य हैं, जिनमें से 07 सदस्य वर्मी खाद निर्माण कर रहीं हैं। वे बताती हैं कि खाद निर्माण की आजीविका बेहतर तरीके से हो इसके लिए पहले हमें जिला प्रशासन के द्वारा प्रशिक्षण दिया गया जिसमें निर्माण की विधि की विस्तार से जानकारी दी गयी। जिसके बाद समूह की सभी महिलाएं जोश और उत्साह के साथ निर्माण में लगीं। अब तक 762 क्विंटल खाद एवं केंचुआ विक्रय से समूह को 3 लाख 20 हजार रुपए का शुध्द लाभ अर्जित किया है।

काम से हुए लाभ से चन्द्रवती के घर बनाने का सपना हो रहा पूरा-
समूह की सदस्य श्रीमती चंद्रवती राजवाड़े बतातीं हैं कि पहले उनका पूरा समय घर के कामों में ही निकल जाता था, समूह से जुड़कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने का मौका मिला और अपने सपनों को पूरा करने में सहायता मिली। उन्होंने बताया कि 5 सदस्यीय परिवार के लिए थोड़ी-बहुत खेती-बाड़ी के सहारे जीवन यापन करना मुश्किल था, खाद निर्माण की आजीविका से मुझे आय का जरिया मिला, आज बच्चों के पढायी-लिखाई के साथ घर के छोटे-मोटे खर्च आसानी से पूरे हो रहें हैं। कई दिनों से घर बनाने की योजना ही बस बन पा रही थी, मुझे मिली 60 हजार की हिस्सेदारी को मैंने घर बनाने में लगाया। यहीं नहीं, बहन को शादी में उपहार स्वरूप फ्रिज भी दिया। ग्राम गौठानों में संचालित आय मूलक गतिविधियों से ऐसी हज़ारों ग्रामीण महिलाओं में रोजगार मिलने से नया आत्मविश्वास आया है और अपनी नई पहचान बनाने की उम्मीद मिली है।

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