छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किये जाने से मत्स्य कृषकों को बिजली दर में छूट एवं निःशुल्क पानी और बिना ब्याज ऋण प्राप्त मिलने से उत्पादन लागत में बहुत कमी आई है। मत्स्य कृषकों की आमदनी में वृद्धि हो रही है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यो में शामिल है। अब यहॉ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईया भी आगे आ रही है और छत्तीसगढ़ राज्य को मत्स्य पालन के क्षेत्र में बेस्ट इनलैंड स्टेट का पुरस्कार भी मिल चुका है।छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन निरंतर विकास एवं प्रगति की ओर बढ़ रहा है।राज्य में संचालित कल्याणकारी योजनाओं के तहत मत्स्य बीज उत्पादन कार्य से लेकर मत्स्य उत्पादन, मत्स्य विपणन का कार्य किया जा रहा है। राज्य मत्स्य बीज आपूर्ति के क्षेत्र में आत्म-निर्भर एवं भारत के अंतर्देशीय मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में छठवें स्थान से पांचवा बड़ा राज्य बन गया है। विगत पौने पांच वर्षों में राज्य का मत्स्य बीज उत्पादन 251 करोड़ से बढ़कर 344 करोड़ स्टेंडर्ड फ्राई हो गया है। मत्स्य बीज उत्पादन में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने हेतु मौसमी तालाबो में मत्स्य बीज संवर्धन कार्यक्रम के तहत मत्स्य पालको द्वारा मत्स्य बीज संवर्धन किया जा रहा है।इस योजना से 5 हज़ार से अधिक मत्स्य पालक लाभ उठा चुके है।इसी तरह वर्ष 23-24 में भी 500 मत्स्य पालको द्वारा मत्स्य बीज संवर्धन किया जा रहा है।विगत पौने पांच वर्षों में 23 नए सर्कुलर मत्स्य बीज हेचरी की स्थापना की गई है।वर्तमान में कुल 92 मत्स्य सरर्कुलर हेचरी मत्स्य बीज उत्पादन हेतु उपलब्ध है।ज्ञात हो कि राज्य और देश के अन्य राज्यो पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना,केरला और गोवा  के मत्स्य पालको के मांग के अनुरूप उत्तम गुणवत्ता वाले मत्स्य बीज आपूर्ति की जा रही है।

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा मछली पालन को कृषि का दर्जा प्रदान किये जाने से मत्स्य कृषकों को बिजली दर में छूट एवं निःशुल्क पानी और बिना ब्याज ऋण प्राप्त मिलने से उत्पादन लागत में बहुत कमी आई है। मत्स्य कृषकों की आमदनी में वृद्धि हो रही है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ मछली बीज उत्पादन में देश के अग्रणी राज्यो में शामिल है। अब यहॉ मछली अनुसंधान के क्षेत्र में निजी क्षेत्र की इकाईया भी आगे आ रही है और छत्तीसगढ़ राज्य को मत्स्य पालन के क्षेत्र में बेस्ट इनलैंड स्टेट का पुरस्कार भी मिल चुका है।छत्तीसगढ़ राज्य में मत्स्य पालन निरंतर विकास एवं प्रगति की ओर बढ़ रहा है।राज्य में संचालित कल्याणकारी योजनाओं के तहत मत्स्य बीज उत्पादन कार्य से लेकर मत्स्य उत्पादन, मत्स्य विपणन का कार्य किया जा रहा है। राज्य मत्स्य बीज आपूर्ति के क्षेत्र में आत्म-निर्भर एवं भारत के अंतर्देशीय मत्स्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में छठवें स्थान से पांचवा बड़ा राज्य बन गया है। विगत पौने पांच वर्षों में राज्य का मत्स्य बीज उत्पादन 251 करोड़ से बढ़कर 344 करोड़ स्टेंडर्ड फ्राई हो गया है। मत्स्य बीज उत्पादन में 37 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। मत्स्य बीज उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने हेतु मौसमी तालाबो में मत्स्य बीज संवर्धन कार्यक्रम के तहत मत्स्य पालको द्वारा मत्स्य बीज संवर्धन किया जा रहा है।इस योजना से 5 हज़ार से अधिक मत्स्य पालक लाभ उठा चुके है।इसी तरह वर्ष 23-24 में भी 500 मत्स्य पालको द्वारा मत्स्य बीज संवर्धन किया जा रहा है।विगत पौने पांच वर्षों में 23 नए सर्कुलर मत्स्य बीज हेचरी की स्थापना की गई है।वर्तमान में कुल 92 मत्स्य सरर्कुलर हेचरी मत्स्य बीज उत्पादन हेतु उपलब्ध है।ज्ञात हो कि राज्य और देश के अन्य राज्यो पश्चिम बंगाल, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, तेलंगाना,केरला और गोवा  के मत्स्य पालको के मांग के अनुरूप उत्तम गुणवत्ता वाले मत्स्य बीज आपूर्ति की जा रही है।