इसके बाद वन विभाग की टीम जब मौके पर पहुंची और पूरे गांव तथा आसपास बाघ के चहल कदमी के निशान ढूंढने की कोशिश की,इसके बाद जब वन अमले ने यह घोषणा किया कि किसी भी प्रकार से बाघ के यहां पर आने की कोई भी निशान नजर नहीं आ रहा है तो सभी ने राहत की सांस ली आपको बता दे कि इस पूरे अफवाह की शुरुआत सेरीखेड़ी के सेवा निकेतन यह से हुआ जहां एक दिव्यांग बालिका ने सुबह संस्था के पदाधिकारी को बताया कि उसने बाघ देखा है और उसका फोटो अपने मोबाइल में खींचा है इसके बाद संस्था के पदाधिकारी ने तुरंत मामले की सूचना पुलिस तथा वन विभाग को दी थी,शुरुआती जांच में यह पाया गया कि दिव्यांग बालिका ने उक्त तस्वीर को गूगल से डाउनलोड किया था,